Description
सुभद्रा कुमारी चैहान (1904–1948) कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हैं, लेकिन उनकी कहानियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए इतने सारे भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में भी काम किया है । वर्तमान पुस्तक 47 कहानियों का संकलन है– आहुति, अमराई, अनुरो/ा, बड़े घर की बात, बियाहा, देवदासी की कहानी, दृष्टकोणय एकादशी, ग्रामीण, हिंगवाला, जाम्बक की डिबिया, कदम्ब के फूल, कल्याणी, मछुए की बेटी, मंझली रानी, ‘पापी पेट, पवित्र इ”र्या, रही, सोने की कांठी, तांगेवाला, उन्मदिनी, दो साथी, दुर्घटना, अभियक्त, अंगूठी की खोज, असमंजस, भगनाशेश, चड्ढा दिमाग, दो सखियां, दुरचारी, गौरी, गुलाब सिंह, होली, कान के बुंदे, कैलाशी नानी, किस्मत, मंगला, नारी–हृदय, परिवर्तन, प्रोफेसर मित्र, रूपा, सुभागी, थाटी, वेश्य की लड़की, किशोर बच्चे, दुनिया । ने म/यवर्गीय भारतीयों की जीवन शैली पर आ/ाारित कई लघु कथाएँ लिखी हैं । उन्होंने हिंदी कविता में ढेर सारी रचनाएँ भी लिखी हैं । उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई के जीवन का वर्णन है । संपूर्ण हिंदी साहित्य में, यह कविता है जो भारत के लोगों द्वारा सबसे अ/िाक पढ़ी और गाई जाती है । उनकी कहानियाँ नारी की स्वतंत्र्ता का नया उद्घो””ा भी करती हैं । उनके व्यक्तित्व ने उत्तर भारत के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में गहरी छाप छोड़ी है । महज 44 साल की छोटी सी अव/िा में किसी देश और जातीय पहचान को इतना बड़ा योगदान देने वाली उनके जैसी दूसरी महिला को इतनी जल्दी याद नहीं किया जाता ।
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